सुशीला पुरी
न सही कविता ये मेरे हाथों की छटपटाहट ही सही ..........
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Thursday, April 16, 2009
उनका जो काम है वे तो अहले-सियासत जाने, मेरा पैगाम मोहब्बत है, जहां तक पहुंचे .
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