Pages

Monday, October 1, 2012


पहले -पहल जब 
धरती कुनमुनाई थी 
उसकी गोद मे गिरा था बीज 
वृक्ष होने के लिए 
तब से बंद हूँ मै 
तुम्हारी हथेलियों मे,

पहले पहल जब 
हवा जन्मी थी 
सहेजा था उसने सुगंध 
बनाई थी सांस 
तब से बंद हूँ मै 
तुम्हारी हथेलियों मे,

पहले पहल जब 
बादल उगे थे 
उतरी थीं नदियाँ 
समंदर को गले लगाकर 
बुझाई थी प्यास 
तब से बंद हूँ मै
तुम्हारी हथेलियों मे,

------ सुशीला पुरी 

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails