सुशीला पुरी
न सही कविता ये मेरे हाथों की छटपटाहट ही सही ..........
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Saturday, April 18, 2009
हमन हैं इश्क मस्ताना , हमन को होशियारी क्या रहें आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या न पल बिछुडे पिया हमसे, न हम बिछुडे पियारे से उन्ही से नेह लागी है, हमन को बेकरारी क्या
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