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Friday, October 23, 2009

सिर्फ़ बचे तुम


आंकडों में लिपटा
तुम्हारा प्रेम
जोड़ते घटाते रहे तुम
शेष बचता रहा हर बार
पर मेरे लिए प्रेम
दो मिलकर एक बना
और एक दिन
एक भी समा गया शून्य में
सिर्फ़ बचे तुम

16 comments:

  1. तुम!!

    और

    बस


    तुम!!


    -बेहतरीन समर्पण!!

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  2. घटते जाने का यह आँकडा और शून्य तक का सफर वाकई मार्मिक लगा.
    बहुत ही खूबसूरत एहसासो और भावो को व्यक्त करने का.

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  3. और एक दिन
    एक भी समा गया शून्य में
    सिर्फ़ बचे तुम

    hmmm.....

    bahut hi bhaavpoorn lines hain.......
    '


    dil ko chhoo gayi yeh kavita.....

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  4. मेरा मुझमे कुछ नही !!!
    बस तुम ही तुम हो !!!
    पर तुम्हारा प्रेम आंकडों में क्यों रहता है !!!
    प्रेम की बहुत खूबसूरत व्याख्या है !
    बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ,
    इस कविता और उसे रूपायित करते चित्र के लिए !

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  5. सुन्दर रचना,
    इसी ज़मीन पर एक और ख्याल देखने के लिये नीचे दिये link पर पढें "सम्बंधो के अंकगणित" at "सच में" (www.sachmein.blogspot.com


    http://sachmein.blogspot.com/2009/06/blog-post_16.html

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  6. सिर्फ़ बचे तुम
    जोड़ घटानों के बीच प्रेम को महसूस करना ....सुशीला जी ...ये बस आप ही कर सकती हैं

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  7. इस आखिरी तुम मे शायद वह सब समाहित है, जो कुछ बाकी है धरती की हथेलियोँ मे... लाइने सुन्दर है.

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  8. प्रेम के समर्पण की कविता है .. सिर्फ बचे तुम .. प्रेम ही बच पाटा है .. और अगर कुछ और बचता भी है तो वह भी प्रेम की ही वजह से .प्रेम को महसूस करना . और उसे बचा ले जाना सच में. बधाई!! .

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  9. BAS YAHI TO PREM KI MANJIL HAI .... GUNA, BHAAG, JODNA AUR GHATAANA TO BAS PRATIKIRYA HAI ... PREM KA ANTIM CHARAN TO BAS TUM HI TUM HO ... LAJAWAAB LIKHA HAI ...

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  10. क्या कहूं
    बस वाह वाह !!

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  11. didi ji bahut bahut acchi samarpan bhavna hai ....thanx didi ji..

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  12. आपकी लेखनी पर क्या प्रतिक्रया करुँ..यह नहीं समझ पा रहा.
    जारी रहें.

    ---
    अंतिम पढ़ाव पर- हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]

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  13. Shoony ho jana bhi ek uplabdhi hai..prem sambandhon mein..

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  14. प्रेम में कोई गणित नहीं होता
    वो तो बस अगणित ही रहता है
    शेष कुछ नहीं बचता
    जिसे हासिल कहें वह तुम होता है
    और ना-हासिल भी तुम ही रहता है

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  15. वाह! बड़ी बढ़िया जानकारी है आपकी प्रेम के गणित की।

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