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Saturday, December 25, 2010

रात में छूट गया हारमोनियम

मेरे प्रिय रचनाकार की मेरी प्रिय कविता ----


मै हारमोनियम रात के भीतर बजा रहा था 
गाना जो था वह अँधेरे में इतनी दूर तक जाता था 
कि मै देख नहीं पाता था ,
फिर एक पतली-सी दरार मुझे दिखी 
मै उसमें घुस गया 
और अँधेरे की दो परतों के बीच नींद में डूबे पानी जैसा 
दूर तक दौड़ने लगा ,
वहाँ बीस साल से एक लड़की थी , जो बिना कभी दिखे 
सोती जा रही थी 
वह जागी तो नहीं लेकिन नींद में ही हँसी ,
अँधेरे में गाना था और पानी जैसा जो बह रहा 
वह मैं था ,
फिर तो मैं भी हँसने लगा रात में ही 
अँधेरे में छुपा हुआ ,
एक मोटा अधेड़ उम्र का आदमी 
साईंबाबा की फोटो के नीचे पिस्ता खा रहा था 
उसने बंदूक से मुझे डराया 
यों आँखें फाड़कर और मुँह को यूँ -यूँ करके ,
वह तो बाप निकला लड़की का ,जो गुस्से में था 
और सो भी नहीं रहा था बीस साल से 
लड़की के सपनों की पहरेदारी में 
मै क्या करता ? धप्प से कूदकर बाहर निकल आया 
और उजाले में डरावने आदमी से नमस्ते करने लगा ,
लेकिन मेरा हारमोनियम तो 
रात में ही रह गया था ,बहुत पीछे 
और वह बज रहा था 
और लड़की हँसे क्यों जा रही थी 
यह कहना मुश्किल था ।  

27 comments:

  1. बहुत ही रहस्यात्मक रचना.......कई अर्थो को एक साथ समेटे..बहुत सुंदर।

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  2. सपने में बजते हारमोनियम कभी सच नहीं होते.. सुबह होते ही छूट जाते हैं.. अक्सर लडकियां सपने में ही हंसती हैं... अच्छी कविता..

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  3. बहुत मार्मिक कविता है । बिल्कुल एक सपने जैसी । शायद किसी दर्दनाक घटना से प्रेरित होकर लिखी गई है ।

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  4. यशस्वी कवि कथाकार उदय प्रकाश जी की यह कविता अनगिनत व्यंजनाओं को समेटे अपने समय की बड़ी कविता है और इसी कविता के शीर्षक से उनकी मशहूर किताब है -- ''रात में हारमोनियम'' !

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  5. बहुत मार्मिक कविता है, एक सपने जैसी !
    पहली बार आपके व्लाग पर आयाऔर बहुत खुबसूरत कविता पढने की मिली , बधाई

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  6. रात में हारमोनियम...
    बेहतर प्रस्तुति...

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  7. धन्यवाद,
    सुशीला जी ,अपने और मेरे भी प्रिय रचनाकार की कविता प्रस्तुत करने के लिए. बहुत ही अच्छा लगा.

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  8. वहाँ बीस साल से एक लड़की थी , जो बिना कभी दिखे
    सोती जा रही थी

    पानी जैसा जो बह रहा
    वह मैं था ,
    मै उजाले में डरावने आदमी से नमस्ते करने लगा ,

    मेरा हारमोनियम तो
    रात में ही रह गया था ,बहुत पीछे
    और वह बज रहा था

    बजती हैं बहुत दूर तक तन्हाइयां अक्सर
    कहने में बहुत खूब है यह याद का आलम

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  9. dhanyawad sushila jee..........ek achchhi rachna padhwane keliye....:)
    nav varsh ki bahut bahut subhkamnayen.........

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  10. Shushila jee namaskar,
    Uday prakash jee ki yeh kavta punah padh kar hamne Sahitya Akadami ka celebration kar liya.Aur kya likh rahin hain?Kabhi mere blog par bhi najar daudayen.

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  11. bhut sargrbhit kvita ke liye aapdono ko dhnywaad .

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  12. प्रेम और अनकहे दर्द को बयान करती यह कविता उनकी काव्यात्मक ऊँचाइयों को अभिव्यक्त करती है ! नये साल की शुभकामनाओं के साथ , तुम्हे बहुत बहुत धन्यवाद इस कविता के लिए !

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  13. शुक्रिया इसे यहाँ बांटने के लिए

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  14. बहुत ही सुंदर.

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  15. एक बहुत ही अच्छी कविता पढ़ने को मिली..आभार आप का सुशीला जी.

    .............
    नववर्ष 2011 आपके व आपके परिवार
    के लिए ढेरों प्रसन्नताएं लाए ,शुभकामनाओं सहित-
    अल्पना

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  16. नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ......स्वीकार करें ..
    आशा है नव वर्ष आपके जीवन में खूब सारी खुशियाँ लेकर आएगा ....बहुत - बहुत शुभकामना

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  17. हिंदी के यशस्वी कवि उदय प्रकाश जी को यहाँ पढ़कर आनंद आया ..इस प्रस्तुति के लिए आपका आभार

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  18. बहुत बहुआयामी रचना ... कवि का मन समझपाना आसान नही होता कभी कभी .......आपको और परिवार में सभी को नव वर्ष मंगलमय हो ...

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  19. एक रहस्यमई प्रेम कविता.अच्छा लगा पढना.

    नव वर्ष की शुभकामनाएँ.

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  20. एक अदभुत रचना। मजा आ गया।

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

    ---------
    पति को वश में करने का उपाय।
    मासिक धर्म और उससे जुड़ी अवधारणाएं।

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  21. Behtreen Rachna se parichay karane k liye didi ji shukriya

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  22. यह कविता यहाँ पढवाने के लिए बहुत बहुत आभार ...


    अर्श

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  23. आप सभी का हार्दिक आभार...ध्न्यवाद ।

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  24. सपने में बजते हारमोनियम कभी सच नहीं होते.. सुबह होते ही छूट जाते हैं. अक्सर लडकियां सपने में ही हंसती हैं. अच्छी कविता !

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  25. यह उदय प्रकाश की एक घटिया कविता है। दरअसल, उदय प्रकाश अच्छी कविता लिख पाने के नाकाबिल हैं। मैं इसे अश्लील कविता मानता हूँ। उदय प्रकाश प्रचार के बल पर कवि बने। कवि होने की लियाकत उनमें है नहीं।

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