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Friday, October 7, 2011

पता है तुम्हें ....!

जब भी हम बात करते हैं

पता है तुम्हें ! क्या क्या होता है?


ओस की नन्‍ही बूँदों में

अनवरत भीगती है मेरी आत्‍मा

भोर की पहली किरन सी

दौड़ने लगती हूँ नर्म-नंगी दूब पर,


तमाम तितलियाँ उड़ती हैं

चेतना के बाग में

अमरूद के पेड़ों के बीच छुप जाती हूँ  मैं

तोड़ने लगती हूँ अधपके अमरूद,


सुगंध सी दौड़ती है बेतहाशा

धमनी-शिराओं में

और पाँव तले की धरती भी

महकने लगती है यकबयक,  


ढेर सारी गौरैया चहचहाने लगतीं हैं

दालान ,छत, मुंडेरों पर

घर भी लेता है

एक लम्बी साँस,


अंगूर की लताएं

पूरे आँगन में छा जाती हैं

और उनकी परछाइयों से  

बनाती हूँ तुम्हारा चित्र,


किसी अज्ञात लय पर

थिरकती है हवा मरुस्थल से समंदर तक

नाचती हूँ आदिम धुन और ताल पर अनथक

शब्द ठिठक जाते हैं ओढ़-ओढ़ मौन

इसी महामौन में बहते हैं आंसुओं के प्रपात

दोनों के आँसुओं को बटोर कर

मैं बनाती हूँ एक लम्बी नदी

गुनगुनी सी अनमनी सी  

धीरे धीरे बहती है वो


लहरों में उसकी मछलियों हैं

और मछलियों में मैं हूं...!


29 comments:

  1. एक बार फिर शब्द विहीन हूँ मैं........

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  2. ek ek shabd us bhaavbhoomi se hokar nikal raha hai...jab baate ki....beshak shabd thithke lekin man ne bahut kuchh bol diya.

    kamal ki rachna.

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  3. प्रभावशाली प्रस्तुति ||

    बहुत-बहुत बधाई ||

    शुभ विजया ||

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  4. शब्दों की आत्मा तक जैसे छू कर आतीं हैं आप....उम्दा, उत्कृष्ट, कितनी जीवनमयी है..कविता न सही छटपटाहट ही....!!

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  5. बहुत सुंदर दीदी, मुग्ध कर दिया आपकी कविता ने, मनो भावो की एक नदी अविरल बह रही है और साथ में धीमे संगीत का आनंद लिया जाये कुछ ऐसा ही अनुभव हुआ........

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  6. पता है तुम्हें ! क्या क्या होता है?

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  7. "......Lahron mein uski machliyan hain,
    aur machiyon mein main hoon.".. Very well thought and put!!

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  8. लहरों में उसकी मछलियों हैं

    और मछलियों में मैं हूं...!

    भावो की उत्ताल तरंगो पर बहता संगीत हो जैसे ऐसे भावों को संजोया है।

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  9. सबसे पहले आपको विजयदशमी के शुभ अवसर पर मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामना / आप सदैव सृजनरत रहें तथा फेसबुकपर पाठकों और लेखकों की विशाल दुनिया में आप हमेशा हमारे साथ बनी रहें / इतनी सुंदर रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई /

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  10. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! बेहतरीन प्रस्तुती!

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  11. gahri bhawo ko uketri hui rachna.......:)
    aajkal aap hamare blog pe aathi nahi:)

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  12. गुज़रे पल की यादों में अमरूद का एक फल मात्र नहीं
    असंख्य पेड, पूरा का पूरा जंगल पहाड नदी
    झरना के अलावा निरझर निश्छल जीवन का लय-ताल

    और उसमें उतरने से उबरने का उल्लासपूर्ण अनुभव भी होता है...

    शुक्रिया...

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  13. लहरों में उसकी मछलियां हैं

    और मछलियों में मैं हूं...!वाह जी ....जीवन की चेलेंजिंग बिंदु पर ला कर अंतिम पक्तियां छोड़ी है .....उन मछलियों की फितरत की ....की वो पाने के बहाव के उल्टा बहती है कही .....और खुद आपने रास्ते तय करती है ...नदी के साथ बहना आम है इन्सान का ...धरा की प्रवाह के साथ पर ...मछली कीतरह!!!! ...जबरदस्त कर्मशील सन्देश देती पक्तियां !!!!!!!!!शुक्रिया सुशीला जी !!!!!!!!!Nirmal Paneri

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  14. बेहतर...

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  15. भावों की स्वर लहरियों में डूबती-उतराती

    दूर तक निकल गई......!!

    एक अजीब सी निश्छलता,स्वाभाविकता

    और संगीतात्मकता है रचना में...!!

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  16. Bahut bhav vibhor kar dene vali rachna..Sushila ji prakriti ka ap bahut sukshamata se adhyayan karti hain..
    Poonam

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  17. प्रिय हिंदी ब्लॉगर बंधुओं ,
    आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के दिसम्बर माह में ०९--१० दिसम्बर (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इस संगोष्ठी को संपोषित किया जा सके इस सन्दर्भ में औपचारिकतायें पूरी की जा चुकी हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.

    संगोष्ठी की तारीख भी निश्चित हो गई है (०९ -१० दिसम्बर२०११ ) संगोष्ठी में आप की सक्रीय सहभागिता जरूरी है. दरअसल संगोष्ठी के दिन उदघाटन समारोह में हिंदी ब्लागगिंग पर एक पुस्तक के लोकार्पण क़ी योजना भी है. आप लोगों द्वारा भेजे गए आलेखों को ही पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जायेगा . आप सभी से अनुरोध है क़ि आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा करें . आलेख भेजने की अंतिम तारीख २५ सितम्बर २०११ है. मूल विषय है-''हिंदी ब्लागिंग: स्वरूप,व्याप्ति और संभावनाएं ''
    आप इस मूल विषय से जुड़कर अपनी सुविधा के अनुसार उप विषय चुन सकते हैं

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  18. bol meri mchhli kitna pani ?

    kya khoob likha hai.
    ek bar poora pdha our dobara
    pr dil n bhra .
    kya bimb, kya shbdo ka chunav , kya artho ki thirkan our bad uske chashni me nhai kvita
    bdhai ho bdhai

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  19. आपकी कविता में जो गहरी आत्‍मीयता है, वह दर्द, आंसू और संवेदना का एक अनुपम रसायन सृजित करती है और पाठक के मन को विरेचन की ओर ले जाती हुई निर्मल कर देती है। बधाई और शुभकामनाएं।

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  20. जब भी हम बात करते हैं
    पता है तुम्हें ! क्या क्या होता है? हाँ ! तुम्हारी कविता पन्नों से बाहर निकल जाती है ! रूप रस और गंध में उब डूब जाती है ! रस छंद और अलंकर उसकी खोज में निकल जाते हैं ! तब कहीं वह पकड में आती है ! सुंदर कविता के लिए बधाई !

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  21. भावों को बुनती प्रवाहमयी रचना!

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  22. muddaton bad aapka blog dekha, kavita bahut hee achhee lagee. hardik badhai! laxmikant Tripathi

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  23. आप सभी का बहुत बहुत आभार !!!

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