इस बार
जब आयेगा वसंत
तो बस
तुम्हारे लिए
वसंत की हवा
वसंत की धूप
वसंत की नमी
वसंत की चाँदनी
सब कुछ होगी
तुम पर न्योछावर
जितने भी फूल
खिलेंगे इस बार
सबके सब
तुम गूँथ देना मेरी चोटी मे
उन फूलों की पूरी सुगंध
करेगी यात्रा
बस
तुम्हारे सांसों की ।
क्योंकि इस बार प्रेम, तुम हों ...इसलिए हर बार की तरह नहीं होगा बसंत !! क्यों सखि ! ऐसा !! प्रेम के रंग में डूबी हुई कविता .बधाई !!
ReplyDeleteप्रेम के रंग में डूबी बेमिसाल कविता...
ReplyDeleteसुशीला जी सुंदर रचना के लिए धन्यवाद...
ReplyDeletekomal kavita !
ReplyDeleteतुम पर न्योछावर
ReplyDeleteजितने भी फूल
खिलेंगे इस बार
सबके सब ...सबके सब!!
आपकी नज्में हमेशा पढ़ने में भली भली सी लगती है....
vasant ki hava, vasnat ki nami, vasant ki dhoop aur vasant ki chandani mein vasant ki trah mahakti kavita. sach badi pyaari hai ..
ReplyDeleteबस! इसी वसंत की प्रतीक्षा में मन वसंती हो पुकार रहा है....वसंत...वसंत....और सिर्फ वसंत...
ReplyDeleteप्रेम की अनूठी उँचाइयों को छू रही है ये रचना ... समर्पण का पावन भाव लिए ... लाजवाब ..
ReplyDeleteअग्रिम क्षमा के साथ मेरा यह बयान! .. आया था.. इस रचना को पढ़ा...कुछ कहना दूसरों के आस्वादन से ज्यादती कर सकता है ..सो बिना कुछ कहे लौट लिया .. "सब कुछ होगी तुम पर न्योछावर" .. सहमति नहीं बन पाती .. वह क्या प्रेम जो बाँध दे किसी एक खूंटे से(भले ही भगवान) .. प्रेम वह जो धूप और बरसात सा बरस पड़े सब पर बिना किसी भेद भाव के .. लेकिन, प्रेम पर रची किसी भी कृति के लिए प्रभू चरणों पर चढे फूल सा आदर भी रहता है मन में तो क्या करता चुप रहने के सिवा !
ReplyDeleteखुबसूरत कविता जो वक्त से पहले वसंत की चाप दे जाती है...दिल की वादियों में वसंत लहलहाने लगता है...
ReplyDeleteवाह, प्रेममई सुन्दर कविता !
ReplyDeleteआ हा ! प्रेम व समर्पण के भावो से सराबोर रचना बहुत सुन्दर्।
ReplyDeleteप्रेम और सौन्दर्य की अद्भुत कविता ! बेखुदी का सुंदर रूप मन को मोहित कर लेता है ! बधाई !!
ReplyDeleteवसंत आता नहीं ले आया जाता है, आपने ला दिया । शुक्रिया स्वीकारेंगी न !
ReplyDeleteसुंदर एहसास जगाती प्यारी कविता।
ReplyDeleteवसंत को चोटी में गूंथ लेना.. नए तरह का विम्ब है... आपकी कविता प्रेम को नया कलेवर, नया तेज देती है... सुन्दर !
ReplyDeleteसब कुछ होगी
ReplyDeleteतुम पर न्योछावर
पूरी कविता में समर्पण का भाव प्रबल है ...शुभकामनायें
चलते -चलते पर आपका स्वागत है
थोडा सा रूमानी हो जाए !!!!!
ReplyDeleteबसंत के आने मे अभी समय है लेकिन आपकी कविता से उसकी महक आ रही है ।
ReplyDeleteबेहतर...
ReplyDeleteसुशीला जी आप सचमुच बहुत अच्छा लिखती हैं. बहुत छोटी बाते बहुत बड़े तरीके से कहना आपकी विशेषता है.
ReplyDeleteबहुत बदिया लिखती है आप , सच ये बात जानते सब है पर आपने इसे इतना अच्छा पिरोया है. फूलूँ की सुगंध की भांति आप यहाँ इस कविता मैं महक रही है .शिबानी दस
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteशोभनम्
ReplyDeleteखूबसूरत कविताएँ!.... लेकिन पता नही क्यूँ ऐसा लगता है कि थोड़ा जल्दबाजी में लिखी गईं । कविताओं में और डूबिए.... तो हम पाठकों को कुछ और चमकदार मोती मिलें ।
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteDidi ji sunder rachna k liye badhai .der se aane k liye maafi chahta hu ..........
ReplyDeleteबहुत खूब! सुन्दर!
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति| धन्यवाद|
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