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Friday, April 24, 2009

TUMHAARA NAAM

तुम्हारा नाम
पैदा करता है
नजरों में ठहराव
किसी भी गणित से परे
बार-बार तुम्हारा नाम
क्यूँ टकराता है मुझसे ?
कभी गली के किसी मोड़ पर
चौराहे की चहल-पहल
या राह चलते किसी घर पर
ठिठक जाती हैं नजरें
विमुग्ध हो जाती हूँ मैं,
हथेली पर बहुधा
लिखती हूँ तुम्हे
छू लेती हूँ हौले से
भर लेती हूँ ऊर्जा,
अक्सर किताबों में
लिख देती हूँ तुम्हे
घर की दीवारों पर
बिना लिखे ही दिखता है
तुम्हारा नाम
तुम्हारे नाम के नीचे
लिख देती हूँ अपना नाम
और मेरी संवेदना पा लेती है
सामीप्य का एहसास,
तुम्हारा नाम लिख कर
सुंदर अल्पना में छुपा देती हूँ
और तुम्हारी उपस्थिति
भर देती है प्राणों में उल्लास,
तुम्हारा नाम
मानो पूरी परिधि वाला कवच
मैं बड़ी निश्चिंत हूँ उसके भीतर.

25 comments:

  1. तुम्हारा नाम पैर गुलज़ार साहेब की ये पंक्तियाँ याद आईं
    --------------तुम ऐसे में बशारत बन के आते हो
    और अपनी ले के जादू से हमारी टूटती साँसों से इक़
    नगमा बनाते हो की जैसे रात की बंजर स्याही से सहर फूटे ......... तुम्हारा नाम बहुत सुंदर लिखा है

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  2. खुशियों की बरसात हो तुझ पर
    जिसके नाम का पास है तुझको
    उसके प्यार की बरसात हो तुझ पर

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  3. गीता जी इस खजाने से मैं अब तक महरूम क्‍यों था आज पहली बार आपके ब्‍लाग पर आया बहुत ही अच्‍छा लिखते हो शुभकामनाएं

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  4. सुशीला जी
    तुम्हारा नाम..बहुत सुंदर रचना है. हम औरतें नाम कहां कहां नहीं छुपाती.छुपाना ही तो सीखा है..छुप छुप कर प्रेम का रोमांच ही कुछ और..
    खूब लिखें..
    गीताश्री

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  5. एक पुराना शेर याद आ गया

    ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है
    छुपाते छुपाते बयाँ हो गई है

    पर आपने तो बडी खूबसूरती से छुपा रखी है.

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. एक आह सी उठती है , तेरे नाम के साथ ,
    हमको तकलीफ है मगर आराम के साथ ।

    क्या कहे तुम्हारी कवीता बहुत खुबसूरत है ....... बधाई

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  8. अच्छी कविता...बधाई....और लिखें खूब लिखें....लिखते लिखते ही और अच्छा लिखा जा सकता है।

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  9. आपकी कविता का शिल्प विस्मयकारी हैं प्रोफाईल में गृहणी पढ़ने के बाद समझ ही नहीं आता...आपके शब्दों में झांकती है निपुणता, बेहद प्रभावी कविता बधाई

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  10. आपके पास एक सम्प्रेषणीय भाषा है और सम्वेदना भी। यह कविता ढेरो उम्मीदे जगाती है।
    शुभकामनाये तथा मौन पर प्रतिक्रिया के लिये आभार।

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  11. आपने मेरे प्रिय कवी नरेश सक्सेना जी की एक कविता उद्धृत की थी. गिरो आंसू की एक बूंद की तरह
    किसी के दुःख में
    गेंद की तरह गिरो
    खेलते बच्चों के बीच
    गिरो पतझर की पहली पत्ती की तरह
    एक कोंपल के लिए जगह खाली करते हुए''
    इसी कविता का स्मरण दिलाते हुए आपको नहुत बहुत शुभकामनाएं

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  12. बेहतरीन भावाभिव्यक्ति के लिये साधुवाद

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  13. कविता की पंक्तियों में छुपा भाव अब छिपा नही रहा अलबत्ता आपने उसे बहुत छिपाने की कोशिश की....
    अच्छी कविता लिखी है आपने....

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  14. Ye kaisi ajab dastaa ho gayi hai,
    Chupate chupate bayaa ho gayi hai.
    Sunder Rachna ke liya badhai
    Priti

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  15. आप सभी का हार्दिक आभार ..............

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  16. "तुम्हारा नाम
    मानो पूरी परिधि वाला कवच
    मैं बड़ी निश्चिंत हूँ उसके भीतर."
    बहुत अच्छी लाइने हैं .. लेकिन नाम का कवच कब पुरुषत्व के अहम् का कवच बन जाता है पता नहीं चलता !

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  17. बिलकुल सही कहा आपने .......कवच कब अहम् बन जाता है ?

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  18. बहुत अच्छा लिखती हैं आप.
    --आप ने अपने परिचित किन्हीं लेखक के बारे में जिक्र किया था..
    सुशीला जी ,यूँ तो मैं अबू धाबी के ही एक शहर में रहती हूँ मगर
    यह शहर मुख्य शहर से बहुत दूर है.इस लिए अबू धाबी प्रोपर में
    रहने वालों के बारे में जानकारी मुझे बहुत कम है.
    यहाँ एक हिंदी की कहानीकार हैं नाम सुना है .[अभी नाम याद नहीं आ रहा].
    और श्री अरविन्द व्यास जी हैं जो हिंदी के कवि हैं.
    आप किन के बारे में बात कर रही हैं?नाम बतायेंगी तो मालूम चल पायेगा.
    शुक्रिया.

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  19. आपकी ये कविता भी बहुत खुबसूरत है...एक
    नाम के भीतर अपने को निश्चिंत करने
    का अहसास बहुत खुबसूरत है...
    लिख देती हूँ अपना नाम
    और मेरी संवेदना पा लेती है
    सामीप्य का एहसास,
    सचमुच
    प्यार के नाम में यही ताकत
    होती है.......अमरजीत कौंके

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  20. शब्दों की सौन्दर्य शक्ति
    शायद सिद्ध है आपको
    इसलिए लिखते हो बिंदास ,
    फूंक देते हो शब्दों में उल्लास
    अल्पनाओं सी कल्पनाएँ
    कर देतीं हैं बिमुग्ध
    भर देतीं हैं उर्जा
    तब गा सकता है कोई भी
    अपने प्रेम गीत
    जीवन की रीत
    मनमीत और कiल पर जीत
    बधाई

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  21. बिना लिखे ही … बिना दिखे ही … किसी के होने का एहसास सुखद भी है … पर बेचैन भी कर देता है कभी कभी …!

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  22. तुम्हारा नाम-अपनाया गया कवच है विश्वास नाम के भाव का.

    अदभुत भावाभिव्यक्ति है !

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