
गूंगी अयोध्या
टूटते हैं मन्दिर यहाँ
टूटती है मस्जिद यहाँ
टूटकर बिखर जाते हैं अजान के स्वर
चूर चूर हो जाती हैं घंटियों की स्वरलहरियां
कोई नही बचाता यहाँ सरगमों के स्वर
कोई नही पोछता सरयू के आंसू
उसकी लहरों की उदास कम्पन
अक्सर भटकती है सरयू
खोजते हुए सीता की कल-कल हँसी
(24 july 2009 ki "India News" magazine mein dekhein)
(Editor-Dr.Sudhir saxena)